आप भी जान लीजिये, इन 5 चीजों के बिना अधूरा माना जाता है करवा चौथ का व्रत

Gourav Kumar
इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 17 अक्टूबर को है, हर व्रत के कुछ अपने नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है और इसी तरह से करवा चौथ के भी कुछ नियम और रिवाज हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता हैं। ऐसे में आइए जानते हैं करवा चौथ से जुड़े कुछ नियम और रिवाज के बारे में क्योंकि इसके बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है। बता दें कि करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता हैं, इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ नीराजल व्रत रखती हैं और चाँद के दर्शन करने के बाद ही पानी और भोजन ग्रहण करती हैं।


करवा चौथ व्रत इन पांच चीजों के बिना अधूरा होगा


(1) सरगी का उपहार
सरगी के उपहार से ही करवा चौथ का व्रत आरंभ होता हैं, इस दिन हर सास अपनी बहू को सरगी देती हैं और व्रत पूर्ण होने का आशीर्वाद देती हैं। सरगी में मिठाई, फल आदि होता हैं जो एक सुहागिन महिला व्रत को करने से पहले खाती हैं, जिससे पूरे दिन उसे ऊर्जा मिले।



(2) निर्जला व्रत करने का विधान
करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है, इसमें व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन कुछ भी खाना और पीना नहीं होता हैं, जल का त्याग करना पड़ता हैं। इस दिन व्रती अपने कठोर व्रत से माँ गौरी और भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोशिश करती हैं ताकि उन्हें अखंड सुहाग और सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिले।


(3) शिव और गौरी की पूजा
व्रत के दिन सुबह से ही भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश भगवान की पूजा की जाती हैं ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य, यश आदि की प्राप्ति हो सके। पूजा में माता गौरी और भगवान शिव के मंत्रो का जाप किया जाता हैं।


(4) शिव और माता गौरी की मिट्टी की मूर्ति
करवा चौथ में पूजा के लिए शुद्ध पीली मिट्टी की शिव, गणेश, माता पार्वती की मूर्ति बनाई जाती हैं और फिर चौकी पर उन्हें लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता हैं, माता गौरी को सिंदूर, बिंदी और चुन्नी तथा भगवान शिव को चन्दन, पुष्प वस्त्र आदि पहनाते हैं।



(5) करवा चौथ की कथा का श्रवण
इस दिन महिलाएं दिन में पूजा की तैयारी कर, शाम में एक जगह इकठ्ठा होती हैं। उस जगह पंडित जी या फिर बुजुर्ग महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनाती हैं।


(6) थाली फेरना
करवा चौथ की कथा सुनने के बाद महिलाएं सात बार थाली फेरती हैं, थाली में वहीं चीज होती हैं जो बयाने में सास को दिया जाएगा, सास का पैर छूकर उन्हें बायना भेंट किया जाता हैं।


(7) करवे और लोटे को फेरना
करवे और लोटे को भी सात बार फेरने का विधान हैं, इसका मतलब हैं कि घर की महिलाओं के बीच प्रेम बना हुआ हैं।

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