नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा से पास, असम में बवाल, 16 संगठनों ने किया बंद का आह्वान

Singh Anchala
नयी दिल्ली। विपक्ष के हंगामे के बावजूद लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल 2019 पास हो गया है। बिल के पास होते ही अब इसपर हंगामा भी होना शुरू हो गया। असम में सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक 12 घंटे का बंद का एलान किया है। बिल के विरोध में नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स और ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और ऑर्गनाइजेशन आज पूरे असम में बंद का आह्वान किया है। इस बंद में इन्हें कई संगठन और कई राजनीतिक पार्टियों का समर्थन हासिल है। बंद के बाद असम के कई इलाकों में इसका असर साफ नजर आ रहा है। सड़कें सुनसान और दुकाने सुबह से ही बंद हैं। इसके साथ ही चारोतरफ सन्नाटा पासरा हुआ नजर आ रहा है, वहीं बंद के मद्दे नजर सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया है।

बता दें कि सोमवार को भी बन का असर देखा गया था, जब इंडीजीनस पीपल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) सहित कई आदिवासी समूहों ने नागरिक संशोधन विधेयक के खिलाफ बंद का आयोजन किया, जिसके चलते त्रिपुरा ट्राइबल एरिया ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (टीटीएएडीसी) के क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित रहा। सड़क और रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुए और हजारों यात्री बीच रास्ते में फंसे रहे, क्योंकि बंद समर्थक कार्यकर्ताओं ने त्रिपुरा और देश के बाकी हिस्सों के बीच चलने वाले वाहनों और ट्रेनों को आगे जाने से रोक दिया था।

अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल ये कहा

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि घुसपैठियों और शरणार्थियों के बीच अंतर है। ये बिल शरणार्थियों के लिए है। अमित शाह ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वोट बैंक के लालच के लिए आंखें और कान बंद हैं तो आप खोल लीजिए। अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल 2019 पर साफ शब्दों में कहा कि दस्तावेज हो या न हो, अधूरा हो या पूरा हो, सबको नागरिक बनाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि बिल किसी भी धर्म के प्रति भेदभाव नहीं करता है। इसके साथ ही ये विधेयक एक सकारात्मक भाव लेकर आया है उन लोगों के लिए जो इन तीनों देशों में प्रताड़ित है। इसके साथ ही प्रताड़ित शरणार्थी होता है, घुसपैठिया नहीं होता। दोनों में बहुत अंतर है।

गौरतलब हो कि विधेयक में हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन करने से नहीं वंचित करने की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति नागरिकता प्रदान करने की सभी शर्तो को पूरा करता है तब अधिनियम के अधीन निर्धारित किये जाने वाला सक्षम प्राधिकारी, अधिनियम की धारा 5 या धारा 6 के अधीन ऐसे व्यक्तियों के आवेदन पर विचार करते समय उनके विरूद्ध अवैध प्रवासी के रूप में उनकी परिस्थिति या उनकी नागरिकता संबंधी विषय पर विचार नहीं करेगा।

भारतीय मूल के बहुत से व्यक्ति जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के उक्त अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति भी शामिल हैं, वे नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 के अधीन नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं। किंतु यदि वे अपने भारतीय मूल का सबूत देने में असमर्थ है, तो उन्हें उक्त अधिनियम की धारा 6 के तहत देशीयकरण द्वारा नागरिकता के लिये आवेदन करने को कहा जाता है। यह उनको बहुत से अवसरों एवं लाभों से वंचित करता है। इसमें कहा गया कि इसलिए अधिनियम की तीसरी अनुसूची का संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है जिसमें इन देशों के उक्त समुदायों के आवेदकों को देशीयकरण द्वारा नागरिकता के लिये पात्र बनाया जा सके. इसके लिए ऐसे लोगों मौजूदा 11 वर्ष के स्थान पर पांच वर्षो के लिए अपनी निवास की अवधि को प्रमाणित करना होगा।

 
 

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