क्या आप जानते हैं 3 साल में 5 राज्यों में भाजपा के लिए गेम चेंजर बने राज्यपाल ?

Kumari Mausami

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद किसी भी दल की सरकार न बन पाने पर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। 22 से 23 नवंबर तक एक बार फिर राज्य की राजनीति में बदलाव देखने को मिला और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ले ली। इस मामले में राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठे। पिछले 3 साल में 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद, राज्यपालों पर भाजपा को तरजीह देने के आरोप लगते रहे हैं। जानिए कब किस राज्य में भाजपा ने बहुमत न होनें के बावजूद सरकार बनाई...

 

 

महाराष्ट्र: 22 नवंबर 2019 की रात तक कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के गठबंधन की चर्चा हुई। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे को नेता मानने की बात कही। देर रात तक रणनीति बनाने वाले नेताओं की तैयारी धरी रह गई और शनिवार सुबह भाजपा के देवेंद्र फडणवीस और राकांपा के अजित पवार ने शपथ ले ली। बेहद तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले पर भी सवाल उठे। जानकारी के मुताबिक, रात 12.30 बजे मुंबई से दिल्ली जाने के लिए तैयार राज्यपाल ने अपनी यात्रा रद्द की। इसके बाद सुबह तक राज्य से राष्ट्रपति शासन भी हट गया और शपथ ग्रहण भी हो गया।

 

 

कर्नाटक: 2018 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद राज्यपाल वजुभाई वाला ने सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया। भाजपा की सरकार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं कर सकी और मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी, लेकिन 17 विधायकों ने समर्थन से इनकार कर दिया। इन सभी को स्पीकर ने अयोग्य घोषित किया। बाद में भाजपा के बीएस येदियुरप्पा ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस मामले में राज्यपाल पर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की उपेक्षा कर भाजपा को तरजीह देने के आरोप लगे।

 

 

मेघालय: 2018 में मेघालय विधानसभा चुनाव के बाद 21 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए भाजपा और उसके साथी दलों को बुलाया। भाजपा के पास महज 2 सीटें थीं और उसके साथ गठबंधन करने वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी की 19 सीटें थीं।

 

 

गोवा: 2017 में गोवा विधानसभा चुनाव के बाद, 40 सदस्यीय विधानसभा में 18 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया। कांग्रेस ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पर्रिकर को शपथ लेने से रोकने की मांग की। हालांकि अदालत ने शपथ ग्रहण तो नहीं रोका, लेकिन 16 मार्च, 2017 को दिन में 11 बजे मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को विश्वासमत हासिल करने को कहा। इस फैसले को लेकर भी राज्यपाल पर सवाल उठे।

 

 

मणिपुर: 2017 में 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस के 28 विधायक जीते। भाजपा के 21 विधायक जीतकर पहुंचे, लेकिन राज्यपाल ने चुनाव बाद के गठबंधन को आधार बनाकर भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया। इसके बाद वहां भाजपा की सरकार बनी। 

Find Out More:

Related Articles: