Exit Polls की खुली 'पोल', केवल ये इकलौता सर्वे रहा नतीजों के करीब

Gourav Kumar
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा को तमाम एग्जिट पोल के दावों के विपरीत तगड़ा झटका लगा। तकरीबन सभी एग्जिट पोल में बताया गया था कि हरियाणा में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिल रहा है जो कि गलत साबित हुआ। लेकिन एक एग्जिट पोल ऐसा था जिसने उसी तरह के आंकड़े दिखाए थे जैसा कि नतीजा आया है। आजतक-एक्सिस माई इंडिया का सर्वे सबसे करीब रहा। सर्वे के अनुसार, हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नाम पर पार्टी को वोट नहीं मिले। हरियाणा विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल के लिए आजतक-एक्सिस माई इंडिया ने करीब 23 हजार लोगों के बीच सर्वे किया था। इसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को प्रदेश में 32 से 44 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। वहीं प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को 30 से 42 सीटें मिलने की उम्मीद जताई है। इस एग्जिट पोल के अनुसार, हरियाणा के विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र की तर्ज पर केंद्रीय मुद्दे ही हावी रहे। हालांकि इस सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले रहे क्योंकि 75 सीटों से ज्यादा जीतने का दावा करने वाली सत्तारूढ़ भाजपा सर्वे में सत्ता से दूर जाती दिखाई दी है। सर्वे के अनुसार प्रदेश में जननायक जनता पार्टी (जजपा) को 6 से 10 सीटें मिल सकती हैं।



प्रधानमंत्री से खुश, मुख्यमंत्री से नाराज
इस सर्वे के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करने वाले केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम से खुश हैं। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के काम से नाराज हैं। ऐसे में केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी प्रदेश में भाजपा के पक्ष में मतदान होने की बड़ी वजह रहे हैं। सर्वे के मुताबिक, विधानसभा चुनाव में भाजपा को 33 फीसदी मत मिल रहे हैं। इनमें से भी 36 फीसदी मतदाताओं ने केंद्र सरकार के अच्छे काम को तरजीह दी है। जबकि इनमें 35 फीसदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम को तरजीह देना उचित समझा है।


सर्वे में चौंकाने वाली यह बात भी सामने आई है कि प्रदेश के मतदाता मुख्यमंत्री खट्टर के काम से नाराज हैं क्योंकि उनके नाम पर सिर्फ छह फीसदी लोगों ने अपने मत का प्रयोग भाजपा के पक्ष में किया है। हालांकि राज्य सरकार के अच्छे काम को लेकर भाजपा के पक्ष में वोटिंग करने वालों की संख्या 16 फीसदी है। वहीं कमजोर विपक्ष होने के बावजूद भाजपा के पक्ष में वोट करने वालों की संख्या महज एक फीसदी है।

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