शोक में डूबी दिल्ली... आज अंतिम सफर पर निकलेंगी शीला दीक्षित
दरअसल, दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने शेष हैं और ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अचानक निधन से दिल्ली कांग्रेस के सामने एक ऐसे नेता की तलाश करने की चुनौती उत्पन्न हो गई है, जो उनकी जिम्मेदारी संभाल सके। शीला दीक्षित के निधन के बाद अब दिल्ली कांग्रेस इकाई के सामने दो चुनौतियां हैं, जिसमें पहली है नया नेता तलाशना और दूसरी पार्टी में एकजुटता कायम करना। नए नेता को दिल्ली इकाई को एकजुट करने की चुनौती से भी जूझना पड़ सकता है।
...और राजनीति में मिला था पहला मौका बता दें कि कांग्रेस पार्टी दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें सीएम के चेहरे के तौर पर उतारने की तैयारी में भी थी। दिल्ली में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद केरल की राज्यपाल भी रही थीं। इसके अलावा कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर भी पेश किया था। शीला दीक्षित को राजनीति में पहला बड़ा मौका तब मिला था, जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें 1984 में अपने मंत्रिपरिषद में शामिल किया था तब शीला दीक्षित यूपी की कन्नौज लोकसभा सीट से संसद पहुंची थीं। केरल की राज्यपाल भी रहीं शीला के लिए राजनीति महज सत्ता हासिल करने का जरिया नहीं थी बल्कि आम लोगों से जुड़ने और उनकी समस्याओं को हल करने का माध्यम थी।
विनोद दीक्षित से हुआ विवाह पंजाब के कपूरथला में गैर-राजनीतिक परिवार में 1938 में जन्मीं शीला को जीसस कॉन्वेंट में स्कूल की पढ़ाई की थी और उसके बाद मिरांडा हाउस कॉलेज से ग्रेजुएशन की थी। जुलाई, 1962 में शीला दीक्षित की शादी जवाहर लाल नेहरू के करीबी रहे उमा शंकर दीक्षित के नौकरशाह बेटे विनोद दीक्षित से हुई थी। उमा शंकर दीक्षित 1971 में इंदिरा गांधी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे और उसके बाद वह कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में गवर्नर भी रहे।
'शीला की लोकप्रियता से मेल नहीं खाता कोई चेहरा' एक नेता ने कहा, ‘नेताओं की मौजूदा जमात में कोई भी दीक्षित की लोकप्रियता से मेल नहीं खाता है। तीन कार्यकारी अध्यक्षों हारुन युसूफ, देवेंद्र यादव और राकेश लिलोठिया क्रमश: वरिष्ठ नेताओं जेपी अग्रवाल, एके वालिया और सुभाष चोपड़ा से कनिष्ठ है।’ नेता ने कहा, ‘दीक्षित के अचानक निधन से दिल्ली कांग्रेस बुरी तरह से प्रभावित हुई है।’
अजय माकन ने दिया था इस्तीफा वर्ष 2013 के बाद से हर प्रमुख चुनाव में तीसरे स्थान पर रह रही कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहकर आम आदमी पार्टी (आप) कुछ हद तक किनारे करने में सफल रही थी और उसे कुछ उम्मीद दिखाई दी थी। कांग्रेस पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। दीक्षित अगले वर्ष जनवरी-फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही थीं। अब पार्टी को चुनाव से पहले संगठन का नेतृत्व करने के लिए एक नए नेता की तलाश करनी होगी। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के पूर्व प्रमुख अजय माकन ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था।