पूरे देश में धूमधाम से नवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। खासतौर से उत्तर भारत में भक्त मां दुर्गा की विशेष कृपा पाने के लिए इन नौ दिनों में व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान अष्टमी यानी कि व्रत के आठवें दिन नौ कन्याओं का पूजन करने का विधान है।
यही नहीं जो लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत नहीं रख पाते हैं वे भी अष्टमी या दुर्गाष्टमी का व्रत रखते हैं और कंजक पूजा भी करते हैं। वहीं दूसरी तरफ बंगाल, ओडिशा, त्रिपुरा और मणिपुर में दुर्गा पूजा में अष्टमी का विशेष महत्व है। पंडालों में इस दिन दुर्गा की नौ शक्तियों का आह्वान किया जाता है।
अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप यानी कि महागौरी का पूजन किया जाता है। सुबह महागौरी की पूजा के बाद घर में नौ कन्याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित किया जाता है। सभी कन्याओं और बालक की पूजा करने के बाद उन्हें हल्वा, पूरी और चने का भोग दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें भेंट और उपहार देकर विदा किया जाता है।
कन्या पूजन की विधि
- कन्या पूजन के दिन सुबह-सवेरे स्नान कर भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें।
- कन्या पूजन के लिए दो साल से लेकर 10 साल तक की नौ कन्याओं और एक बालक को आमंत्रित करें।
- ध्यान रहे कि कन्या पूजन से पहले घर में साफ-सफाई हो जानी चाहिए। कन्या रूपी माताओं को स्वच्छ परिवेश में ही बुलाना चाहिए।
- कन्याओं को माता रानी का रूप माना जाता है। ऐसे में उनके घर आने पर माता रानी के जयकारे लगाएं।
- अब सभी कन्याओं को बैठने के लिए आसन दें।
- फिर सभी कन्याओं के पैर धोएं।
- अब उन्हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं।
- इसके बाद उनके हाथ में मौली बाधें।
- अब सभी कन्याओं और बालक को घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती उतारें।
- आरती के बाद सभी कन्याओं को यथाशक्ति भोग लगाएं।
- भोजन के बाद कन्याओं को यथाशक्ति भेंट और उपहार दें।
- इसके बाद कन्याओं के पैर छूकर उन्हें विदा करें।