पश्चिम बंगाल: जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों पर समाधान के लिए CM ममता बनर्जी से दूसरी बैठक की मांग की
डॉक्टरों ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा, और मुख्य सचिव के नेतृत्व में गठित विशेष टास्क फोर्स की जानकारी को बैठक के एजेंडे में शामिल करने की मांग की है।
डॉक्टरों ने ईमेल में लिखा, “पिछली बैठक में हमारे पांच सूत्री मांगों में से चौथा और पांचवां बिंदु – स्वास्थ्य सेवा में सुधार, सुरक्षा और वर्तमान खतरनाक माहौल – पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।”
पहले हुई बैठक और सरकार के फैसले
इससे पहले सोमवार को दो विफल वार्ताओं के बाद, लगभग 30 जूनियर डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनके कालीघाट आवास पर दो घंटे की चर्चा की थी। हालांकि यह बैठक 5 बजे शुरू होनी थी, लेकिन यह करीब 7 बजे शुरू होकर 9 बजे खत्म हुई।
बैठक के बाद सरकार ने पुलिस विभाग में बदलाव करते हुए कोलकाता के लिए नए पुलिस आयुक्त की नियुक्ति की और स्वास्थ्य विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों को हटा दिया। इसके बावजूद, जूनियर डॉक्टर अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे तब तक काम पर नहीं लौटेंगे जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।
मुख्य मांगें और संघर्ष जारी
डॉक्टरों की मुख्य मांगों में राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम और पूर्व कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को हटाने की मांग शामिल है। डॉक्टरों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने सोमवार की बैठक में निगम को हटाने का आश्वासन दिया था, लेकिन सुरक्षा से संबंधित मामलों पर अभी और चर्चा की जरूरत है।
डॉक्टरों ने सरकारी अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, डॉक्टरों के लिए उचित आवास की व्यवस्था, सुरक्षा बढ़ाने और छात्र संघ चुनाव करवाने जैसी मांगों को दोहराया है।
उनकी प्रमुख चिंताओं में से एक है सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा में सुधार के लिए 100 करोड़ रुपये के फंड की घोषणा। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं होगा, तब तक कोई भी सुरक्षा उपाय प्रभावी नहीं हो सकता।
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते पश्चिम बंगाल की चिकित्सा सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हो रही हैं, और इस तनावपूर्ण स्थिति का समाधान फिलहाल दूर नजर आ रहा है।