ISRO के हौसले का NASA ने भी माना लोहा, Solar System पर साथ कम करने की जताई इच्छा

Gourav Kumar
जिस हौसले और उम्मीद के साथ भारत ने चंद्रयान 2 को अन्तरिक्ष में भेजा था और हर एक चरण को पार कर अपने अंतिम क्षणों में लैंडर विक्रम का संपर्क टूट जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हराना और लगातार प्रयास करना और आखिरकार उसका भी पता लगा लेना। इसरो के इस बेमिसाल जज्बे की ना सिर्फ पूरे देश ने बल्कि विश्व के कई देशों ने भी खुले दिल से तारीफ किया है। आपको बता दें की नासा ने भारत के ऐतिहासिक मिशन चंद्रयान 2 की सराहना करते हुए कहा है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की कोशिश से उसे प्रेरणा मिली है और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी अपने भारतीय समकक्ष के साथ सोलर सिस्टम पर रिसर्च करना चाहती है।



जैसा की एएम सभी जानते हैं लैंडर का अंतिम क्षणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। मगर अब जैसा की इसरो के अधिकारियों के बताया की चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है और उसने खोए विक्रम लैंडर की लोकेशन का पता लगा लिया है और इसकी थर्मल इमेज भी ली है। नासा ने शनिवार को ‘ट्वीट’ किया कि अंतरिक्ष जटिल है। हम चंद्रयान-2 मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की इसरो की कोशिश की सराहना करते हैं। आपने अपनी यात्रा से हमें प्रेरित किया है और हम हमारी सौर प्रणाली पर मिलकर खोज करने के भविष्य के अवसरों को लेकर उत्साहित हैं।



पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री जेरी लेनिंगर ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की ‘साहसिक कोशिश’ से मिला अनुभव भविष्य के मिशन में सहायक होगा। लिनेंगर ने कहा कि हमें इससे हताश नहीं होना चाहिए। भारत कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है जो बहुत ही कठिन है। लैंडर से संपर्क टूटने से पहले सब कुछ योजना के तहत था। नासा के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर उतरने से संबंधित केवल आधे चंद्रमा मिशनों को ही पिछले 6 दशकों में सफलता मिली है। एजेंसी की तरफ से चंद्रमा के संबंध में जुटाए गए डेटा के मुताबिक 1958 से कुल 109 चंद्रमा मिशन संचालित किए गए, जिसमें 61 सफल रहे। करीब 46 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने से जुड़े हुए थे जिनमें रोवर की ‘लैंडिंग’ और ‘सैंपल रिटर्न’ भी शामिल थे। इनमें से 21 सफल रहे जबकि दो को आंशिक रूप से सफलता मिली। रूस द्वारा जनवरी 1966 में शुरू किए गए लूना 9 मिशन ने पहली बार चंद्रमा की सतह को छुआ और इसके साथ ही पहली बार चंद्रमा की सतह से तस्वीर मिलीं थी।

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