देवउठनी एकादशी 2019 : जानें क्या है व्रत के नियम, शुभ मुहूर्त तथा पूजा विधि

Gourav Kumar
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी की रूप में मनाया जाता है, इसे हरि प्रबोधनी एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रों के मान्यता अनुसार भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी से चार महीने के लिए सो जाते है। यह चार महीने चतुर्मास के नाम से जाना जाते हैं। इसके उपरांत कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु जागते है।


देवउठनी एकादशी का महत्व तथा व्रत नियम
शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु जिन चार माह के लिए सो जाते हैं, उन चार महीने के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। इन चार माहों की अवधि कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन पूरी होती है। उसी दिन दिन भगवान जागते हैं, इसी कारण इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। भगवान के जागने के बाद सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस एकादशी को व्रत रखने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन निर्जला अथवा फलाहार दोनों प्रकार के व्रत का विधान मान्य होता है। यदि व्रती व्यक्ति रोगी, वृद्ध,बालक या अधिक व्यस्त है तो वह कुछ घंटे का व्रत करके भी परायण कर सकता है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन होता है।



शुभ मुहूर्त
इस वर्ष प्रबोधनी एकादशी 8 नवम्बर 2019 को मनाई जायेगी। एकादशी की तिथि 7 नवम्बर 2019 रात 9:55 से ही शुरू हो जायेगी। उदया तिथि के अनुसार 8 नवम्बर को ही एकादशी का व्रत और पूजन किया जायेगा। 8 नवम्बर रात्रि 12:24 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा।


यह चीजें होती हैं वर्जित
एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है, माना जाता है की चावल खाने से मन चंचल होता है इसलिए चावल का सेवन इस दिन निषेध है। इस दिन तामसिक चीजों का सेवन नही करना चाहिए मसालेदार खाना नही खाना चाहिए। मॉस मदिरा का सेवन तो पूर्णतः निषेध होता है। क्रोध करने से बचना चाहिए,झूठ कथन नही बोलना चाहिए। मन पर नियंत्रण रखना चाहिए।



भगवान विष्णु की करें पूजा
इस दिन दौनिक कार्य से निवृत होकर मन करम वचन से शुद्ध होकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूरा दिन भगवान का स्मरण करना चाहिए। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” इस मन्त्र का जाप करना चाहिए। इस प्रकार व्रत एवं पूजन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

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