क्यों की जाता है गोवर्धन पूजा, क्या है इसका महत्व, यहाँ जानें पुरा इतिहास, विधि, मुहूर्त और सबकुछ

Gourav Kumar
इस साल गोवर्धन पूजा 28 अक्टूबर 2019, सोमवार यानि आज मनायी जाएगी| इस दिन को लेकर ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन गाय की पूजा करनी चाहिए और गाय को पालक, अन्न और वस्त्र दान देना चाहिए| गोवर्धन पूजा वृन्दावन और मथुरा सहित देश के अन्य कई इलाकों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं, गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता हैं| अन्नकूट से तात्पर्य हैं कि अन्न का समूह, इस दिन भिन्न-भिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और फिर पकवान और मिठाई से भगवान को भोग लगाया जाता हैं|



गोवर्धन पूजा क्यों की जाती हैं
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था| भगवान कृष्ण ने इस तरह इंद्र के अभिमान को चूर-चूर हो गया हैं और फिर भगवान कृष्ण ने गोवर्धन की पूजा का महत्व ब्रजवासियों को बताया| दरअसल गोवर्धन पूजा से पहले ब्रजवासी लोग अच्छी वर्षा के लिए इंद्रदेव की पूजा करते थे परंतु भगवान कृष्ण का ऐसा मानना था कि ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए| क्योंकि गोवर्धन पर्वत से ही उन्हें पशुओं को चारा मिलता हैं, इसके साथ ही यही पर्वत बादलों को रोककर वर्षा कराता हैं| वर्षा से ही अच्छी फसल होती हैं| इसलिए भगवान कृष्ण ने कहा कि लोगों को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पर्वत को 56 भोग लगाकर पूजा करनी चाहिए|


गोवर्धन पूजा की पूजन विधि
इस दिन लोग अपने घरों के आँगनों में गाय के गोबर से एक पर्वत का निर्माण करते हैं, पर्वत का निर्माण करने के बाद जल, मौली, रोली, चावल, फूल और दही अर्पित किया जाता हैं| इसके बाद दीपक जलाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती हैं और फिर पूजा के बाद परिक्रमा की जाती हैं| इतना करने के बाद सभी लोग ब्रज के देवता गिरिराज भगवान को प्रसन्न करने के लिए भगवान गिरिराज को अन्नकूट का भोग लगाया जाता हैं|



गोवर्धन पूजा से जुड़ा आख्यान
गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट का निर्माण कर भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का विधान हैं| इस पूजा से जुड़ी एक ऐसी मान्यता है कि आज के ही दिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इन्द्र्देव के प्रकोप से रक्षा करने के लिए अपने छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था| तब ब्रजवासियों ने भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाया था, ब्रजवासियों के इस कार्य से भगवान कृष्ण प्रसन्न हुये और उन्हें आशीर्वाद दिये कि वो ब्रवासियों की हमेशा रक्षा करेंगे|

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