दुर्गा अष्टमी और महानवमी कब है? जानें तिथि और हवन का शुभ मुहूर्त

Singh Anchala
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की आराधना की जाती है। प्रत्येक दिन मां के अलग-अलग स्वरूप की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हर दिन मां को उनके खास फूल और भोग अर्पित किए जाते हैं और हर दिन विशेष रंग के कपड़े पहने जाते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान माता के स्वागत के लिए पंडाल सजाए जाते हैं और धूमधाम से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। दुर्गा उत्सव को बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व कहा जाता है। मान्यता है कि देवी दुर्गा ने बुराई के प्रतीक महिषासुर का संहार उस पर कर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

वैसे तो नवरात्रि का हर एक दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान सप्तमी, अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व बताया जाता है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन पंडालों में माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। अष्टमी और नवमी  तिथि पर कन्याओं को भोजन कराया जाता है और हवन किया जाता है, तब जाकर यह व्रत पूर्ण होता है। शारदीय नवरात्रि में महाअष्टमी और महानवमी कब पड़ रही है चलिए जानते हैं।


महाअष्टमी का शुभ मुहूर्त-
महाअष्टमी प्रारंभ- 5 अक्टूबर सुबह 09.53 बजे से,
महाअष्टमी समाप्त- 6 अक्टूबर सुबह 10.56 बजे तक.


दुर्गाअष्टमी व्रत
महाअष्टमी की उदया तिथि 6 अक्टूबर को पड़ रही है, इसलिए महाअष्टमी का व्रत 6 अक्टूबर को रखा जाएगा। महाअष्टमी तिथि पर देवी के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन देवी मां को नारियल का भोग लगाया जाता है। नवरात्रि में चढ़ती-उतरती व्रत रखने वाले अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं।


महानवमी का शुभ मुहुर्त-
महानवमी प्रारंभ- 6 अक्टूबर सुबह 10.56 बजे से,
महानवमी समाप्त- 7 अक्टूबर सुबह 12. 40 बजे तक।


दुर्गा नवमी व्रत-
महानवमी की उदया तिथि 7 अक्टूबर 2019 को पड़ रही है, इसलिए इस दिन महानवमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन देवी के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नौ दिनों तक व्रत रखने वाले इस दिन कन्या पूजन करते हैं और नवमी हवन के साथ व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री को तिल, अनार, हलवा-पूरी और चने का भोग लगाया जाता है।


हवन का शुभ मुहूर्त-
7 अक्टूबर 2019- सुबह 6.22 बजे से 12.37 बजे तक

गौरतलब है कि नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महाअष्टमी कहा जाता है और नवमी तिथि को महानवमी। इन दोनों तिथियों पर कन्या पूजन का विधान है। नवरात्रि में चढ़ती-उतरती व्रत रखने वाले अष्टमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं, जबकि पूरे नौ दिन तक व्रत रखने वाले नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से शुरु हुई है और 8 अक्टूबर को विजयादशमी पर देवी दुर्गा की प्रतिमाओं को विसर्जन करने के साथ इस पर्व का समापन होगा।

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