तो क्या उदय कोटक को छोड़ना पड़ सकता है अपना पद ?

Kumari Mausami

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा परिचर्चा पत्र में प्रस्तावित दिशानिर्देश लागू होने की दशा में 2003 से कोटक महिंद्रा बैंक का नेतृत्व कर रहे MD व CEO उदय कोटक को अपना पद छोड़ना पड़ सकता है। केंद्रीय बैंक ने 'भारत में वाणिज्यिक बैंकों में प्रशासन' शीर्षक इस परिचर्चा पत्र को जारी किया है। 

 


परिचर्चा पत्र में बैंकों के प्रवर्तक समूह से संबंध रखने वाले मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) और पूर्णकालिक निदेशकों की आयु सीमा 70 वर्ष और अधिकतम कार्यकाल 10 वर्ष तय करने का प्रस्ताव रखा है। गैर-प्रवर्तक समूह के लिए यह समयसीमा 15 साल प्रस्तावित है। 

 

 

उदय कोटक निजी बैंकिंग क्षेत्र के सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले सीईओ में हैं। वह 2003 से कोटक महिंद्रा बैंक का नेतृत्व कर रहे हैं। एक अन्य बैंकिंग दिग्गज एचडीएफसी बैंक के सीईओ आदित्य पुरी इस साल के अंत में सेवानिवृत्त होंगे। 

 

आरबीआई के परिचर्चा पत्र में कहा गया है कि प्रवर्तक समूह से संबंध रखने वाले सीईओ और पूर्णकालिक निदेशकों (डब्ल्यूटीडी) को 10 साल बाद प्रबंधन का नेतृत्व पेशेवरों को सौंपना चाहिए। इस परिचर्चा पत्र पर आरबीआई ने विभिन्न हितधारकों से 15 जुलाई, 2020 तक सुझाव मांगे हैं। 

 

इसमें कहा गया है, 'बैंकों के सीईओ/ डब्ल्यूटीडी के लिए ऊपरी आयु सीमा 70 वर्ष है। इसके बाद इस पद पर कोई भी बना नहीं रह सकता है। 70 वर्ष की अधिकतम सीमा के भीतर प्रत्येक बैंक का बोर्ड आंतरिक नीति के रूप में सीईओ/ डब्ल्यूटीडी की उम्र सीमा को कम कर सकता है।' 

 

इसमें आगे कहा गया है कि किसी बैंक के प्रवर्तक/ प्रमुख शेयरधारक के लिए डब्ल्यूटीडी या बैंक के सीईओ के रूप में कामकाज को स्थिर करने और प्रबंधकीय नेतृत्व को एक पेशेवर प्रबंधन में बदलने के लिए 10 साल का समय पर्याप्त है। इससे न सिर्फ स्वामित्व से प्रबंधन को अलग करने में मदद मिलेगी, बल्कि पेशेवर प्रबंधन की संस्कृति को बढ़ावा भी मिलेगा।

 

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