पुराने फैसलों में सीधे टकराव पर ही बड़ी पीठ को भेजेंगे अनुच्छेद-370 का मामला : सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस रमना के साथ जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की मौजूदगी वाली पीठ ने बार संघ की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता जफर अहमद शाह से कहा कि उन्हें पिछले दोनों फैसलों में सीधा टकराव साबित करना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, भारत और जम्मू-कश्मीर के संविधान एक-दूसरे के समानांतर हैं और अनुच्छेद-370 इनके साथ चल रहा था।
उन्होंने कहा कि संपत प्रकाश मामले में दिए गए शीर्ष अदालत के निर्णय में खासतौर पर कहा गया है कि परिस्थितियों की निरंतरता को ध्यान में रखकर अनुच्छेद-370 को बने रहना होगा। जफर अहमद ने कहा, दोनों संविधान एकसाथ काम कर रहे थे और दोनों के बीच टकराव रोकने के लिए अनुच्छेद-370 की उपधारा (2) मौजूद थी।
उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में यदि कोई कानून बनाना था तो यह केवल राज्य की सहमति या परामर्श से ही बनाया जा सकता था। अनुच्छेद-370 इसी सहमति या परामर्श के लिए रखा गया था। अनुच्छेद-370 को हटाकर सरकार ने राज्य के साथ संबंध खत्म कर लिए हैं। जफर अहमद शाह के बाद एक एनजीओ की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने भी अपने तर्क रखे। दोनों ही अधिवक्ताओं ने मामले को सात सदस्यीय पीठ को भेजने की मांग की।