JNU violence पर विपक्षी दल भड़के, लोकतंत्र में विरोधी आवाज को दबाने की कोशिश

Singh Anchala
नई दिल्ली। देश का मशहूर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। रविवार को कुछ नकाबपोश कैंपस में दाखिल हुए और जबरदस्त तांडव किया जिसमें 20 छात्र घायल हुए हैं। दिल्ली पुलिस का कहना है कि वो जल्द ही एफआईआर दर्ज करेगी। इन सबके बीच राजनीतिक दलों की तरफ से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं जिन्हें जानना और समझना जरूरी है। 

बीएसपी मुखिया मायावती का कहना है कि JNU में छात्रों व शिक्षकों के साथ हुई हिंसा अति-निन्दनीय व शर्मनाक। केन्द्र सरकार को इस घटना को अति-गम्भीरता से लेना चाहिये। साथ ही इस घटना की न्यायिक जाँच हो जाये तो यह बेहतर होगा।

केरल के सीएम पी विजयन का कहना है कि जिस तरह से एबीवीपी के लोगों ने हिंसा की है उससे नाजियों की याद आती है। एक बात तो साफ है कि मौजूदा केंद्र सरकार छात्र समुदाय को लेकर असिहष्णु है। 

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह मोदी शाह का छात्रों के लिए गुजरात मॉडल है। इसके साथ ही कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह ने क्या कुछ कहा उसे समझने की जरूरत है।

कांग्रेस की नेता प्रिया दत्त ने कहा कि छात्रों और शिक्षकों के खिलाफ हिंसा निंदनीय है। सुनियोजित अंदाज में पहले भड़काने का काम हुआ और बाद में हिंसा की गई। बीजेपी का दावा है कि उत्पात करने वाले बाहरी हैं, क्या वास्तव में ऐसा है, हकीकत ये है कि ऐसे छात्र जो एनपीआर और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं।

जेएनयू छात्रसंघ का कहना है कि जिस तरह से हिंसा हुई है उससे साफ है कि वीसी एम जगदीश कुमार भीड़तंत्र का साथ दे रहे हैं। वो पूरी हिंसा के दौरान शांत रहे और पता चलता है कि कहीं न कहीं उनकी मूक सहमति थी। वी सी गैरकानूनी तरह से बैकडोर के जरिए नियम और कानून को लागू कर रगे हैं जो विश्वविद्यालय की मान्य परंपरा के खिलाफ है। 

 
 

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