भारत की ‘Robin Hood Army’ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सिलेबस में हुई शामिल, जानें इसके काम

Kumar Gourav

भोजन के अपव्यय को रोकने व जरूरतमंदों की भूख मिटाने में जुटी स्वयंसेवी संस्था रॉबिन हुड आर्मी के सफलता की दास्तां अब अमेरिका के मैसाचुसेट्स में स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सिलेबस से जुड़ेगी। इसमें शामिल सदस्यों ने अपनी समर्पित सेवा भावना से संस्था की विश्वस्तर पर अलग पहचान बना दी है। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के लेक्चरर ब्रियन टेलस्ट्राद का कहना है कि यह सफलता हासिल कर चुकी एक संस्था की कहानी होगी, जो बिना किसी पैसे की सहायता से ये काम करती है। संस्था के शुरू होने से लेकर अब तक की सफलता को एक स्टोरी का रूप देकर हार्वर्ड में एमबीए के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा। इससे न केवल रॉबिन हुड आर्मी के सदस्यों को नया उत्साह मिलेगा, बल्कि संस्था के सदस्य भविष्य में समाजसेवा के कार्यो को और गति प्रदान करेंगे।

 

दुनिया के 158 शहरों में इसकी शाखाएं
देश में साल 2014 में रॉबिन हुड आर्मी की शुरुआत हुई। यह एक ऐसी संस्था है, जो मैरिज पैलेस, होटलों-ढाबों व अन्य समारोह में बचा हुआ खाना एकत्रित करके जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाती है। दुनिया के 158 शहरों में इसकी शाखाएं हैं। इसमें 40 हजार से अधिक सदस्य संस्था से जुड़े हुए हैं। पंजाब के फाजिल्का के संयोजक आनंद जैन ने बताया कि अब तक रॉबिन हुड आर्मी पौने तीन करोड़ से अधिक लोगों को खाना खिला चुकी है। इसके अलावा संस्था अकादमी के रूप में जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करने में भी जुटी है। देश की बात करें तो 67 शहरों में रॉबिन हुड अकादमी जरूरतमंद बच्चों को शाम के समय नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ा रही है। इसके अलावा इन सेंटरों पर हर त्योहार जैसे होली, दीपावली, 15 अगस्त, 26 जनवरी के अलावा अन्य त्योहार भी मनाए जाते हैं।

 

संस्था का कोई एक व्यक्ति विशेष नहीं

संयोजक आनंद जैन ने बताया कि वैसे तो रॉबिन हुड आर्मी के फाउंडर नीलघोष हैं, जो इस समय विदेश में हैं। इसके अलावा संस्था का कोई एक व्यक्ति विशेष नहीं है। हर शहर में संस्था के संयोजक बनाए गए हैं, जो केवल शहर के कार्यों का देखते हैं। उन्होंने कहा कि संस्था न तो समाजसेवा के कार्यों में पैसे का सहयोग ले रही है और न ही इसका राजनीति से कोई लेनदेन है। अगले सेशन में रॉबिन हुड आर्मी संस्था हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सिलेबस में शामिल होने की संभावना है।

 

इस तरह जरूरतमंदों तक पहुंचता है खाना

आनंद जैन ने बताया कि किसी भी शहर में संस्था का कोई ऑफिस नहीं है। केवल वॉट्सएप के जरिये उन्हें होटल एंव रेस्तरां से सूचना मिलती है। उन्होंने बताया कि संस्था के सदस्यों ने शहर के हर एक होटल व रेस्तरां में अपने नंबर दिए हुए हैं, जहां से बचे हुए खाने की कॉल आने पर उसकी डिटेल हर शहर में बने एक गु्रप में शामिल सदस्यों को दे दी जाती है। जो उक्त जगह से खाना लेकर उसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाते हैं। संस्था सुबह आठ से रात नौ बजे तक खाना प्राप्त करती है, इसके बाद खाने को नहीं लिया जाता। अगर रात को कहीं आयोजन हो और खाना बच जाए, तो सुबह खाना हासिल करने से पहले उसे अच्छी तरह से जांचा जाता है। इसके बाद ही खाना जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है।

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