इन दिनों सम्पूर्ण विश्व में अगर कोई देश सबसे ज्यादा चर्चा में है तो निश्चित रूप से वो भारत है और ऐसा किसी और की वजह से नहीं बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की वजह से है। आए दिन विदेशी दौरों का ही ये नतीजा है की भारत ना सिर्फ रूस और इजरायल बल्कि अमेरिका जैसे बेहद शक्तिशाली देशों का समर्थन पा रहा है। इन्ही सब का नतीजा है की अभी हाल ही भारत को फ्रांस में एक बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है। जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है की भारत ने फ्रांस के निचले सदन में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के राष्ट्रपति मसूद खान के कार्यक्रम को रद्द करवा दिया है। भारतीय मिशन ने फ्रांस के विदेश मंत्रालय को एक आपत्ति पत्र लिखा था जिसके बाद पीओके के राष्ट्रपति को कार्यकम में शामिल होने से रोक दिया गया।
Sources: India blocks Pakistan-occupied Kashmir (PoK) President Masood Khan's event in Lower House of the French Parliament. Following a demarche issued to French Foreign Ministry by the Indian mission in Paris, the PoK President was barred from attending the event. pic.twitter.com/0kV1dL0z40— ANI (@ANI) October 3, 2019
पेरिस में पाकिस्तानी मिशन 24 सितंबर को नेशनल असेंबली में पीओके के राष्ट्रपति मसूद खान की बैठक के लिए जोर दे रहा था। इसके बारे में जैसे ही भारत को पता चला उसने कूटनीतिक कदम उठाया। जिसके तहत भारतीय मिशन ने फ्रांस के विदेश मंत्रालय को एक डेमार्श (आपत्ति पत्र) भेजते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से भारत की संप्रभुता का उल्लंघन होगा। भारतीय प्रवासियों ने भी नेशनल असेंबली के स्पीकर और सांसदों को इस मामले के संबंध में मेल भेजे। खान फ्रांस के निचले सदन मे आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने वाले थे। जब उन्हें फ्रांस सरकार ने कार्यक्रम में जाने की इजाजत नहीं दी तो पाकिस्तान के राजदूत मोइन-उल हक ने इसमें हिस्सा लिया और उनकी तरफ से संबोधित किया।
पाकिस्तान की आकांक्षा के विपरीत कार्यक्रम ने किसी भी स्थानीय जनता का ध्यान अपनी ओर नहीं खींचा। कार्यक्रम में शिरकत करने वाले ज्यादातर लोग पाकिस्तानी कर्मचारी थे। फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। उसने जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा की जाने आतंकी गतिविधियों के खिलाफ भारत का साथ दिया था। फ्रांस ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति में वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने पर भी भारत का साथ दिया था।